
Ujjain | कहते हैं मां भगवान का दूसरा रूप होती है और बात अपने बच्चों पर आ जाए तो वह किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसा ही कुछ शनिवार सुबह रामघाट पर हुआ। जहां अपने कलेजे के टुकड़ों को अपनी ही आंखों के सामने डूबता देख मां ने बिना देर किए नदी में छलांग लगा दी और कुछ ही देर में उन्हें बचाकर बाहर ले आईं। इस दौरान उनकी मदद के लिए नदी से सिक्के निकालने वाला युवक भी आया। लाडलों के बाहर आते ही बिलख रखे परिजन ने उन्हें अपने सीने से लगा लिया। रोते हुए दादी बोलीं- हमारे बच्चे चले जाते तो क्या होता।
दरअसल, सागर के रहने वाले 14 वर्षीय गणेश पिता मनोज रायकवार अपने छोटे भाई अनुज (12 ), मां प्रभा रायकवार, दादी इंद्रादेवी व अन्य परिजनों के साथ शुक्रवार को भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन आए थे। शनिवार सुबह करीब 8:30 बजे सभी रामघाट पर स्नान के लिए पहुंचे।